कर्म या पाखंड Renunciation of Karma is Self-Deception


viewed=716



Category :
documentary  motivational  


कर्म या पाखंड कार्य को आरंभ न करने मात्र से व्यक्ति निष्कर्मावस्था का आनंद प्राप्त नहीं करता। शरीर के द्वारा निष्क्रिय हो गए, तो क्या लाभ, क्योंकि बंधन और मोक्ष का कारण तो मन है। मन के निष्क्रिय बनाना है। मन की निष्क्रियता है-कर्म और कर्मफल से अनासक्त रहना। आलसी बनकर बैठे मत रहो। फल में अपना अधिकार ही नहीं। उद्योग करने पर भी फल प्राप्त होगा, यह निश्चित नहीं। फल प्राप्त हो भी, तो वह प्रारब्ध से होता है, उद्योग उसका कारण नहीं, ऐसा समझकर उद्योग करना ही मत छोड़ दो। कर्म करना तुम्हारा कर्त्तव्य है, अत: तुम्हें कर्म तो करना ही चाहिए, क्योंकि तुम कर्म को छोड़ नहीं सकते, कर्म करने के

Release date : 05-09-2018

Write Your Comments Here: