तृष्णाएँ छोड़ो The Significance of Satsang


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motivational  documentary  


तृष्णाएँ छोड़ो कामनाएँ पूर्ण होने पर भी संतोष नहीं होता, वरन् पहले से भी और अधिक प्यास बढ़ती है। कहते हैं कि मनुष्य अपूर्ण हैं, किंतु यदि वह अपनी वासनाएँ छोड़ दे, तो इसी जीवन में पूर्ण हो सकता है। तृष्णा एक बंधन है, जो आत्मा को जन्म-मरण के जाल में जकड़े हुए हैं। जिसे सांसारिक वस्तुओं की तृष्णा हरदम सताती रहती है, भला वह भवबंधनों से किस प्रकार पार हो सकेगा? प्रपंच का फेरा तभी तब है जब तक कि विभिन्न प्रकार की इच्छाओं ने प्राणी को बाँध रखा है। जिन्हें मुक्ति की आकांक्षा है, जिन्हें पूर्ण सत्य की खोज करनी है, उनके लिए सर्वोत्तम साधन यह है कि अपनी इच्छा को वश में करें। इस संसार में स

Release date : 06-08-2018

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