अमर्यादित इच्छाएँ त्याज्य हैं


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अमर्यादित इच्छाएँ त्याज्य हैं पं श्रीराम शर्मा आचार्य आत्मगौरव, आत्मसम्मान, आत्मकल्याण, आत्मानंद, आत्मप्रतिष्ठा, आत्मसंतोष प्राप्त करके मनुष्य की अंतरात्मा संतुष्ट होती है। इसलिए उसके लिए प्रयत्न करना सब प्रकार उचित एवं आवश्यक है।

Release date : 18-07-2020

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