समाज सेवा से ही आत्मरक्षा
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समाज सेवा से ही आत्मरक्षा
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
जैसे आतिथ्य-सत्कार के समय भीतर से सेवा-भाव का समुद्र उमड़ पड़ता है, उसी तरह निर्मल, निर्दोष तथा परमार्थ की निष्कलंक और पवित्र भावना हो सकती है।
Release date : 23-06-2020